सिंधु संस्कृति से कबीर तक हिन्दू धर्म : एक प्रवास :
मानव विकास के साथ साथ हिंदुस्थान मे हिंदू धर्म विकसित होता चला गया और सिंधू संस्कृती के समय तक सभ्य समाज का वो संपूर्ण विकसित धर्म बन गया जिस मे भाईचारा और समता बहुत महत्व पूर्ण थी . वेवसाय और कला कि स्वतंत्रता थी और धार्मिक कार्य भी सभी स्वतः कारते थे जिसने कोई पुरोहित नाही था . सभी नागरिक समान थे और नागरिक कर्तव्य मे समान हिस्सा लेते थे जिसे हम आज गण राज्य कहते है .
वैसे तो सभी लोग कभी ना कभी एक दूसरे को धर्म ज्ञान बाटते रहते है और माये तो रोज ही ये धर्म ज्ञान अपने बच्चोको देते रहती है पार समाज को विशेष रूप से धर्म ज्ञान हिंदू धर्म मे भगवन शिव , राम , कृष्ण , कबीर कि वाणी ने समय समय पर विशेष समय और स्थिती मी दे कर समाज को उपकृत किया है . एसी लिये ये विशेष रूप से हिंदू धर्म के पथ दर्शक के नाते इन्हे जाणते है इनकी जीवनी से धार्मिक जीवन कैसा हो इसका उदाहरण देते रहते है .
शिव , राम , कृष्णा ने जो बात काही वही बात कबीर ने अपनी वाणी बीजक मे सुद्धा हिंदू धर्म रूप मे कही . आज सत्य हिंदू धर्म जानना है और मानना है तो कबीर कि वाणी बीजक ही माना जा सकता है क्यू कि कुछ हिंदू विरोधी तत्व जैसे विदेशी ब्रह्मिनो ने हिंदू धर्म मी मिलावट कर उसे वर्ण और जाती , ऊंचनीच , भेदभाव से दूषित किया था . कुछ ऐसी ही बात गीता और वारकरी समाज के संतो के साथ हुवी जिसने विदेशी ब्रह्मिनो ने मिलावट कि उनकी मूल रचना को जला डाला , नस्ट किया .
नेटिविस्ट डी डी राउत
प्रचारक
सत्य हिंदू धर्म सभा
देश को सन्देश : जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
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