Thursday, 26 April 2018

सत्य  हिन्दू  धर्म  सभा :

हमारी  हिन्दू  पूजा :

दूर  से  नमस्कार  और  मनहि मन  प्रार्थना  यह  भी  हिन्दू  की  एक  पूजा  पद्धति  है  . यहाँ  कहा  है  विदेशी  ब्राह्मण  एजेंट  ?

लाखो  , करोड़  हिन्दू  रोज  चलते  हुवे  मंदिरो  में  बैठे  हिन्दू  भगवानो  को  दूर  से  ही  नमस्कार  और  मनहि मन  प्रार्थना  कर  आगे  बढ़  जाता  है  तब  कहा  है  विदेशी  ब्राह्मण  एजेंट  ? क्या  ये  नमस्कार  और  प्रार्थना  पूजा  नहीं  है  ? हिन्दू  मनाता  है  ये  पूजा  ही  है  और  फलदाई  भी  . ये  सच  है  प्रार्थना  और  पूजा  में  किसी  बिचोलिये  की  जरुरत  नहीं  .

हिन्दू  अपना  पिछवाड़ा  खुद  ही  धोता  है  . क्या  विदेशी  ब्राह्मण  बिचौलिया  हमारी  संडास  धोने  आएगा  ? पंडित  , ब्राह्मण  पुजारी  हमारी  संडास  साफ  करने  के  लिए  आएगा  , बुला  के  डेस्कः  लो  . नहीं  आएगा  . क्या  हिन्दू  अपने  निजी  काम  जो  एक  पुरुष  अपने  स्त्री  के  साथ  बीतता  है  उसके  लिए  बिचोलिये  विदेशी  ब्राह्मण  पंडित  पुजारी  को  बुलाना  पसंद  करेंगे  ? कभी  नहीं  . जब  हमारी  संडास  साफ  करने  के  लिए  ब्राह्मण  पुजारी  नहीं  आ  सकता  , जब  हम  अपने  निजी  काम  करने  के  लिए  विदेशी  ब्राह्मण  पुजारी  को  नहीं  बुला  सकते  तो  हमारी  हिन्दू  धर्म  की   पूजा  के  लिए  विदेशी  ब्राह्मण  का  भी  कोई  काम  नहीं  .

होसकता  है  जैसे  हम  कभी  कभार  ईरानी  बेकरी  का   केक  भी  मंगाते  है  और  खा  लेते  है  वैसे  ही  कभी  कभार  कोई  विदेशी  ब्राह्मण  हमारे  हिन्दू  समाज  में  विदेशी  ब्राह्मण  ने  भी  केक  की  तरह  शिरकत  की  हो  पर  हम  रोज  रोज  केक  तो  कहते  नहीं  . हम  तो  रोज  अपने  हाथ  की  अपने  घर  की  दाल  चावल  , दाल  रोटी  ही  कहते  है  . तो  बात  साफ  है  हमारी  पूजा  हम  खुद  ही  करते  है  . न  जाने  हम  दिन  में  कितनी  बार  भगवन  को  यद्  करते  है  , मन  ही  मन  प्रार्थन  भी  करते  है  अपने  सुख  , बल  बचो  के  लिए  दवा  मांगे  रहे  है  क्या  ये  पूजा  और  प्रार्थना  नहीं  . अगर   ये  प्रार्थना   पूजा  बिना  ब्राह्मण  की  है  तो  क्या  वर्थ  , उसेलेस  है  ? नहीं  न .

तो  हमें  विदेशी  ब्रह्मिनो  के  हमारी  और  से  पूजा  करने  की  जरुरत  नहीं  . विदेशी  ब्राह्मण  तो  अपने  मन  में  खुद  के  लिए  ही  पराथना  करेगा  , हमारे  लिए  नहीं  क्यों   की   वही  उसका  चरित्र  है  . वही  उसकी  फितरत  है  , वही  उसका  स्वाभाव  है  , वह  तो  हिन्दू  और  हिंदुस्तान  का  जन्मजात  विरोधी  है  , शत्रु  है  , दुश्मन  है  वो  हिन्दू  भला  कभी  च  ही  नहीं  सकता   . विदेशी  ब्राह्मण  ने  आज  तक  कोई  भी  काम  हिन्दू  के   हित  में  नहीं  किया  है  .

हमारे  नॉन  ब्राह्मण  साधु  , सैंटो  ने  , धर्मात्मा  , महात्मावों  ने  हमें  न्याय  , नीट i , धर्म  , अधर्म  , हिन्दू  धर्म  अपने  थोड़े  और  सटीक  सब्दो  में  , दोहो  में  , अभंग  में  बताया  है  . कबीर  का  एक  दोहा  , रविदास  का   एक  वचन  , नामदेव  का  एक  अभंग  , तुकर्म  का  एक   शुल्क  ही  काफी  है  धर्म  ज्ञान  के  लिए  . बस  अपने  सार्वजानिक  और  निजी  जीवन  में  अपनी  पूजा  करते  हुवे  यही  दोहे  , यही  अभंग  बोल  दीजिये  , आपका  भगवन  खुस  हो  जायेगा  , पूजा  फलद्रुप  होगी  . मन  को  शांति  मिलेगी  क्यों  की  जो  अपना  है  है  , जो  अपनी  पूजा  है  वही  सच्ची  पूजा  है  . ब्रह्मिनो  द्वारा  की  गयी  जुटी  और  फरेबी  .

यद्  रखिये  हिन्दू  वही  , जो  ब्राह्मण  नहीं

हिंदत्व  वही  , जिसमे  ब्राह्मण  बिलकुल   नहीं  .

नव . डी .डी .राउत ,
प्रचारक  , #षड्स

आवर  मैसेज  तौ नेशन  : जनेऊ  छोडो  , भारत  जोड़ो 

Sunday, 22 April 2018

मला अजरामर व्हायचे नाही , मी पुस्तके लिहली नाही !

माझे वाचन , मनन आणि अनुभव याचे जोरावर मी सुद्धा १० -२० पुस्तके विविध विषयावर लिहू शकलो असतो . माझे विचार नेटीव्हीसम आणि नेटिव्ह हिंदुत्व वर काही खंडा मध्ये मला विचार मांडता आले असते पण हे मी सर्व टाळले आहे , पुस्तकात विचार दिले कि माणूस अजरामर होतो असे काहींना वाटते . मला अजरामर व्हायचे नाही आणि माझ्या लेखनात लोकांनी ध चा मा कुणी जर नये असे मला वाटते कारण विचारवंतांच्या प्रत्येक शब्दाची बाळ कि खाल काढून मूळ विचार विद्रुप करणे हेच काही लोकांचे धोरण असते , शिवाय मांडलेले विचार वेळ काळ ना अभ्यासताच विचारवंताना चुकीच्या पद्धतीने मांडणे हे काम सर्रास सुरू असते , विशेषतः मरणोत्तर ची चिरफाड केली जाते ते त्या विचारवंतां खरेच अभिप्रेत होती का हा बरेच दा प्रश्न निर्माण होतो . हे सर्व टाळण्या साठी मी माझे विचार अगदी कमीत कमी शब्दात मांडले आहेत , आणि ते आहेत नेटीव्हीसम हा आमचा गुरु आहे , नेटिव्ह हिंदुत्व हे आमचे मार्गदर्शन आहे हे होय . जगात या पेक्षा कमी शब्दात एवढे विशाल तत्वज्ञान मांडले गेले नसणार . बाकी या साठी मी काही संघटना व काही संदेश दिले आहेत . एढाच माझे काम . मी माझ्या या अल्पश्या कामावर पूर्ण समाधानी आहे . पटले तर घ्या नाही तर घेऊ नका . माझे जीवन तत्वज्ञान हेच ; नेटीव्हीसम हा आमचा गुरु आहे , नेटिव्ह हिंदुत्व ने या देशातील ब्राह्मण धर्म ची हिंदू मध्ये झालेलो घुसपेठ कायमची दूर होऊ शकते , या साठी आम्ही हिंदू वोही , जो ब्राह्मण नाही म्हटले पाहिजे हा आमचा आग्रह आहे . काही संदेश आम्ही वेळोवेळी दिले आहेत त्या मध्ये विदेशी ब्राह्मण भारत छोडो अनन्य महत्वाचं आहे .

नेटिविस्ट डी डी राऊत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट