Tuesday, 27 March 2018

वार्ना कहाका भाईचारा , कहा की शांति ! सब बेकार है !

मुस्लिम धर्म में भाईचारा है , क्रिस्टी धर्म में प्यार है , बौद्ध धर्म में शांति है , जैन धर्म में अहिंसा है , सिख धर्म में सतनाम है बहुत अच्छी बात है , और भी दूसरे संप्रदाय होंगे जो हिंदुस्तानी गैर ब्राह्मण नेटिव लोग मानते होंगे और उनमे इन धर्मो जैसी ही कोई न कोई खास खूबी होंगी। ये सभी धर्म गैर ब्राह्मण धर्म है जिस में हम समझते है वर्ण और जाती वेवस्था , ब्राह्मण पंडित ,पुजारी , होम- हवन , जनेऊ , ऊंचनीच , भेदभाव नहीं होगा जैसा की विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म में है। जो ब्राह्मण केवल ३ प्रतिशत है वे यहाँ के ९७ प्रतिशत गैर ब्राह्मण हिन्दू , उनका हिन्दू धर्म को तहसनहस कर खुद को हिन्दू घोषित कर बैठा है और दूसरे धर्म जैसे मुस्लिम , सिख , जैन , क्रिस्चियन , बौद्ध इनको भी प्रभावित कर ऊंचनीच , भेदभाव , जातिवर्ण के चपेट में ले चूका है , अब ये धर्म भी विदेशी ब्राह्मण धर्म के सामने हथ्बल हो चुके है , इनकी ताकत विदेशी ब्राह्मण बहुत पहले ही ख़त्म कर चुके है , बौद्ध , जैन , सिख धर्म अदा से २ प्रतिशत तक सिमट गए है यही हल क्रिस्चियन धर्म का है थोड़ा बड़ा धर्म मुस्लिम धर्म है जिसे विदेशी ब्राह्मण ब्राह्मण और गैर ब्राह्मण में बाट चूका है और गैर ब्राह्मण मुस्लिम को ब्राह्मण धर्मी मुस्लिम और वैदिक धर्मी मुस्लिम दिन ब दिन कमजोर कर रहे है , कुल मिला कर आज ९७ प्रतिशत गैर ब्राह्मण नेटिव चाहे किसी भी धर्म में हो , उन धर्मो के अच्छी खूबी के बावजूद हरे , थके , कमजोर महसूस कर रहे है। कुछ हिन्दू से अलग साम्प्रदाय होना चाहते है वे भी आधा एक प्रतिशत लोग है जो नया धर्म बनाना चाहते है जैसे दूसरे गिर ब्राह्मण धर्म है , पर वो एक बात ध्यान दे जब वो धर्म ३ प्रतिशत विदेशी ब्रह्मिनो का कुछ नहीं कर पाए तो नए धर्म वाले क्या कर लेंगे !

यहाँ हम मूल समस्या पर गैर ब्राह्मण ९७ प्रतिशत लोगो का ध्यान आकर्षित करना चाहते है। मूल संशय ये है की जब विदेशी ब्राह्मण विदेशी है और उनका धर्म वैदिक ब्राह्मण धर्म है तो वे हिंदुस्तानी , हिन्दू , हिन्दू धर्मी कैसे हो सकते है ? वे ना हिन्दू है , ना ही हिंदुस्तानी, यह बात हमें मानना होगा की हिन्दू धर्म और ब्रह्मिन धर्म दो अलग अलग धर्म है , अलग अलग लोग है। ब्राह्मण आर्य केवल एक वर्ण सवर्ण है , दूसरे वर्ण जिसे ब्राह्मण अपने से निचे मानते है वे गैर ब्राह्मण है जिसे काम सिपाही , रक्षा , वणिक रहा है वे सभी हिन्दू , हिंदुस्तनि है , आर्य - ब्राह्मण एक वर्ग ही सवर्ण है क्षत्रिय ,वैश्य गैर ब्राह्मण है , ब्रह्मिन धर्मी नहीं। इस लिए विदेशी ब्राह्मण केवल ३ प्रतिशत है बाकी सभी लोग गैर ब्राह्मण नेटिव है चाहे उन्हें विदेशी ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश कहते हो वे सभी ब्रह्मिनो के सताए हुवे लोग है चाहे उनपर अत्याचार काम हुवे हो पर हुवे है ये निर्विवाद है ,

जब ये बात स्पस्ट हो जाती है तब एक बात साफ़ हो जाती है ९७ प्रतिष्स्त लोग ब्रह्मिनो द्वारा सताए नेटिव है और वे मूलतः हिन्दू धर्मी है जीना धर्म वर्ण जाती नहीं मानता क्यों की हिन्दू धर्म में वर्ण जाती नहीं है वो वैदिक ब्राह्मण धर्म की उपज है , ब्राह्मण धर्म यानि वेद , मनुस्मृति , वर्ण जाती भेद , ऊंचनीच , ब्राह्मण , जनेऊ , होम हवन ,

हिन्दू धर्म यानि कबीर का बीजक , आंबेडकर का हिन्दू कोड बिल , वर्ण , जाती , ब्राह्मण , ऊंचनीच ये कुछ भी नहीं।

इसे मानकरjis दिन सभी गैर ब्राह्मण जब ये कहेंगे हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं उसी दिन हमारी सभी समस्या मिट जाएगी तब हिन्दू से ब्राह्मण अकाज होगा और विदेशी ब्राह्मण हिन्दुतान का दुश्मन माना जाएगा , नेटिव राष्ट्र का उदय होगा और छोटे मोटे धर्मो को ब्राह्मण उत्पीड़न से मुक्ति मिल जायेगी तब हम कह पाएंगे मुस्लिम धर्म में भाईचारा है , बौद्ध धर्म में शांति ! वार्ना कहाका भाईचारा , कहा की शांति ! सब बेकार है ,

नेटिविस्ट डी डी राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट

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